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Teacher's day

5 September 1888- 17 April 1975
हमारे देश के महान शिक्षाविद्, दार्शनिक एवं वक्ता, भारत रत्न डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी, भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति हुए। उनका जन्म 5 सितम्बर 1888  को जिला चित्तूर, तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
डा एस राधाकृष्णन जी अपनी पढ़ाई छात्रवृत्ति से किए। पैसे की बाधा के कारण ही वे दर्शन पढ़े। जब दर्शन से उत्तीर्ण एक छात्र ने अपनी पुस्तकें उन्हें दे दी, तो उन्होनें दर्शन को ही अपना कैरियर बनाना तय कर लिया। वे स्वामी विवेकानंद जी से बहुत प्रभावित थे तथा मिशनरी संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत हिंदुत्व के रूप से बहुत आहत थे। विश्व में हिंदुत्व को सही तरीके से प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने भारतीय दर्शन तथा धर्मों का गहन अध्ययन किया एवं अपने विचार लिखे। उनके अनुसार वेदांत यह बताता है की एक मनुष्य को मनुष्य के रूप में ही देखिये , कोई भेदभाव या अंतर मत रखिये, हर एक व्यक्ति को अपने बराबर का सम्मान दीजिये। इस तरह वे भारत तथा वेस्टर्न देशों के बीच हिंदुत्व को सही रूप में प्रस्तुत करने हेतु एक सेतु का कार्य किये एवं सम्मान अर्जित किये।  
डा एस राधाकृष्णन जी ने दर्शन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद से अपना कैरियर मद्रास प्रेसिडेंसी कालेज से शुरू किया। फिर वे मैसूर तथा कोलकाता विश्वविद्यालयों में अध्यापन किये। महामना मदन मोहन मालवीय जी के निमंत्रण पर वे बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर रहे।
जब वे राष्ट्रपति थे, तब उनके कुछ छात्रों एवं मित्रों ने 5 सितम्बर को उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति मांगी जिसपर वे बोले कि अगर आप इसे अध्यापक दिवस के रूप  में मनाएं तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होगी।  तब से भारत में उनका जन्म दिन अधयापक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
वे एक प्रखर वक्ता थे।  उनके अनुसार हिंदुत्व ईश्वर की जानकारी को लगातार बढ़ाते रहने पर बल देता है। उनके द्वारा प्रस्तुत हिंदुत्व के सही रूप से विश्व में इसके प्रति लोगों की सोच बदली जिससे वे हिंदुत्व के अध्यात्म को समझने के प्रति आकर्षित हुए और हिंदुत्व की पहुँच उन देशो में भी हुई।     
उनको जानने वाले विदेशी लोगों ने कहा है कि हिंदुत्व तथा पाश्चात्य दर्शन को इतनी अच्छी तरह समझने तथा समझा देने वाले  सेतु एस राधाकृष्णन जी ही हैं। वे यह ज्ञान  बचपन से ही दर्शन की शिक्षा में कड़ी मेहनत  से प्राप्त किये। वे भारत के एक ऐसे शिक्षक हुए जो अपने प्रयासों से पूरे विश्व समाज को शिक्षित किये तथा अपने लेखों एवं कृतियों के माध्यम से सदा हमें शिक्षित एवं प्रेरित करते रहेंगे।

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